


कमेटी का विस्तार 15 नवंबर तक करने का निर्णय लिया गया. बैठक में झारखंड सरकार द्वारा आलिम और फाज़िल की डिग्री की मान्यता रद्द करने के फैसले का कड़ा विरोध किया गया. तंजीम-ए-उलमा अहले सुन्नत के सचिव कारी बरकतुल्ला रिज़वी ने कहा कि झारखंड में आलिम और फाज़िल की डिग्री को मान्यता नहीं देना नाइंसाफी है. बिहार की तरह यहां भी मान्यता बरकरार रखी जानी चाहिए.
रिजल्ट रोकना हजारों नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है. उन्होंने कहा कि उम्मीद पोर्टल पर मदरसा, मस्जिद, कब्रिस्तान और वक्फ संपत्तियों की एंट्री में समय कम दिया गया है. 9.30 लाख जमीनों का रजिस्ट्रेशन पांच दिसंबर तक संभव नहीं. केंद्र सरकार कम से कम दो साल का समय बढ़ाए, वरना बड़ा आंदोलन किया जाएगा. बैठक में महुआडांड़, मनिका, चंदवा, हेरहंज और अन्य प्रखंडों के प्रतिनिधि मौजूद रहे.