


इस मौके पर डॉ राजमोहन खलखो ने कहा कि यह अभियान जिले भर में 10 नवंबर से 26 नवंबर तक चलाया जाएगा. लेप्रोसी रोग के प्रारंभिक अवस्था के बारे में उपस्थित लोगों को जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि इस रोग का इलाज संभव है. यदि समय पर उपचार कराया जाये तो रोगी को दिव्यांग होने से बचाया जा सकता है. प्रारंभिक अवस्था में लोगों को इस रोग के बारे में जानकारी नहीं होता है. जब ज्यादा दिक्कत होने लगता है तब व्यक्ति इलाज के लिये डॉ से संपर्क करते हैं तब तक काफी देर हो चुका होता है और लोग दिव्यांगता के शिकार हो जाते हैं.
बीमारी के प्रारंभिक अवस्था में केवल छह महीने तक दवा का नियमित रूप से सेवन करने पर बीमारी पूरी तरह से ठीक हो जाता है. यदि बीमारी के बारे में देर से मालूम होने पर 12 महीने तक दवा लेना पड़ता है पर वैसे रोगी भी पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं. इस मौके पर उपाधीक्षक डॉ अखिलेशवर प्रसाद ने कहा कि आपसी सहयोग से ही लेप्रोसी बीमारी को जिले से पूरी तरह से समाप्त किया जा सकता है. इसके लिये हम सभी को आगे आने की आवश्यकता है. इस रोग का एकमात्र उपाय है बीमारी को छुपाये नहीं समाज में लेप्रोसी रोग के बारे में अधिक से अधिक लोगों में जागरूकता फैलायें ताकि लोग बीमारी को छुपायेगें नहीं बल्की इलाज कराने के लिये बेझिझक हो कर अस्पताल में पहुंचे.
लेप्रोसी खोज अभियान की शत प्रतिशत सफलता के लिये 1193 महिला व पुरुष का दल बनाया गया है. अभियान में सुपरविजन के लिये 154 सुपरवाइजर की टीम बनाया गया है. उन्होने बताया कि अभी जिले इलाजरत कुष्ठ रोगियों की संख्या 245 है. इस मौके पर कुष्ठ उन्मूलन पदाधिकारी डॉ शोभना टोप्पो ने कहा कि लेप्रोसी जांच एवं उपाचार जिले के सभी सरकारी अस्पतालों में सालों भर बिल्कुल ही मुफ्त में उपलब्ध रहता है. अभियान के दौरान लेप्रोसी रोगी खोज के जागरूकता रथ को संयुक्त रूप से सभी पदाधिकारियों के द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना किया गया है ताकि अधिक से अधिक लोगों को लोप्रोसी अभियान से जोड़ कर लाभान्वित किया जा सके.