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बरवाडीहराज्‍यलातेहार

लंबित चिरमिरी रेल लाइन निर्माण का मामला सांसद कालीचरण सिंह ने सदन में उठाया मामला

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बरवाडीह (लातेहार)। चतरा संसदीय क्षेत्र के सांसद कालीचरण सिंह ने बरवाडीह समेत झारखंड, छत्तीसगढ़ और बिहार के पिछड़े क्षेत्रों को रेलवे नेटवर्क से जोड़ने वाली महत्वाकांक्षी बरवाडीह-चिरमिरी रेल लाइन परियोजना को लेकर भारत सरकार के रेल मंत्रालय का ध्यान आकृष्ट किया है. सांसद ने नियम 377 के तहत लोकसभा सदन में बरवाडीह–चिरमिरी रेल परियोजना का मुद्दा को उठाते हुए इस परियोजना के प्रति केंद्र सरकार का ध्यान आकर्षित कराया है. उन्होंने कहा कि यह रेल परियोजना न केवल झारखंड बल्कि छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और बिहार के कई पिछड़े क्षेत्रों को सीधे जोड़ने में सहायक होगी. इसके पूरा होने से बरवाडीह से महाराष्ट्र की दूरी लगभग 400 किलोमीटर तक कम हो जाएगी, जिससे परिवहन लागत में भारी कमी आएगी और समय की भी बचत होगी.

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इसके अतिरिक्त इस क्षेत्र में आर्थिक, सामाजिक और औद्योगिक विकास के नए अवसर सृजित होंगे. सांसद ने कहा कि पूर्व में इस परियोजना पर रेल मंत्री से चर्चा हो चुकी है और उन्हें सकारात्मक आश्वासन भी मिला था. बावजूद इसके, अब तक इस परियोजना की प्रगति या वर्तमान स्थिति स्पष्ट नहीं हो सकी है. यह स्थानीय जनता के हित में एक गंभीर विषय है. उन्होंने सरकार से आग्रह किया है कि बरवाडीह-चिरमिरी रेल लाइन की वर्तमान स्थिति की शीघ्र समीक्षा कर इसे प्राथमिकता के आधार पर कार्यान्वित किया जाए ताकि झारखंड सहित पूरे क्षेत्र के लोग इसका शीघ्र लाभ प्राप्त कर सकें।

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24 घंटे में सकते है बरवाडीह से मुंबई

इस रूट के चालू होने से बरवाडीह से मुंबई मात्र 24 घंटा में पहुंचा जा सकता है. वर्तमान में यहां के लोगों को मुंबई जाने में 36 से 40 घंटे का समय लगता है. इसके अलावा कोलकाता से मुंबई की दूरी जहां 400 किमी कम होगी. वहीं 5 से 6 घंटे के समय की बचत होगी. वर्तमान में ये दोनों मेट्रों सिटीज दो रूट से जुड़ी हुई है।

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कब और क्यों शुरू हुई थी योजना

अंग्रेज ने बरवाडीह–चिरमिरी रेल परियोजना का प्रस्ताव वर्ष 1925 में लाया था. परंतु इस परियोजना का काम वर्ष 1930 से शुरू किया गया था। ब्रिटिश सरकार ने इस परियोजना को इस क्षेत्र में पाए जानेवाले खनिज संपदा की ढुलाई करने और दो मेट्रो सिटीज कोलकाता ओर मुंबई की दूरी को कम करने के उदेश से किया था. जिसका निर्माण रुका हुआ है।

कब बंद हुई थी परियोजना : यह परियोजना 85 वर्ष से बन्द पड़ी है. दूसरे विश्व युद्ध (1939–45) के दौरान ही बंद हुई थी. जिसे अब सांसद कालीचरण सिंह ठंडे बस्ते से निकालने की कोशिश कर रहे है।

Mayank Wishwkarma

संवाददाता, शुभम संवाद, बरवाडीह ( लातेहार)

Mayank Wishwkarma

संवाददाता, शुभम संवाद, बरवाडीह ( लातेहार)

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