

बरवाडीह (लातेहार) । शनिवार को विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर संयुक्त ग्राम सभा मंच, बरवाडीह के तत्वधान में पुराना प्रखंड कार्यालय स्थित नरेगा सहायता केंद्र के प्रांगण में आदिवासी दिवस मनाया गया. मौके पर रंगारंग आदिवासी सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया. आदिवासी दिवस की शुरुआत झांकी निकाल कर की गई, जिसमें सभी सांस्कृतिक टीम के साथ साथ सैकड़ों ग्रामीण बस स्टैंड से लेकर बाजार होते हुए जल जंगल जमीन हमारा है, विश्व के आदिवासी एक हों जैसे नारों के साथ रेलवे क्वार्टर से होते हुए पुनः पुराने प्रखंंडपरिसर पहुंचा. तत्पश्चात भगवान बिरसा मुंडा के प्रतिमा का माल्यार्पण जिप सदस्य कन्हाई सिंह एवं सभी ग्राम प्रधान के द्वारा संयुक्त रूप से की गई.

सत्र की शुरुआत में जेम्स हेरेंज के द्वारा आदिवासियों के इतिहास को विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा गया कि, आदिवासी विश्व के सबसे पुराने लोग हैं, जिन्हें एथनिक समाज कहा जाता है. एथनिक समाज वैसे लोगों के समूह को कहा जाता है जिनकी अपनी पहचान, संस्कृति, भाषा, रीति-रिवाज और परंपराएं होती हैं, जो उन्हें मुख्यधारा के समाज से अलग बनाती हैं. संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1994 में इस एथनिक समाज को अपनी विशिष्ट पहचान के साथ रहने देने और उसकी सुरक्षा के लिए विश्व आदिवासी दिवस मनाने की शुरुआत की थी. आज भी जब विश्व आदिवासी दिवस का आयोजन होता है, तो इस बात पर बहस जरूर होती है कि क्या आदिवासियों को उनका हक मिल रहा है या उन्हें अपनी विशिष्ट पहचान से दूर किया जा रहा है.




