


जुनैद अनवर ने जयराम महतो के उस विवादित बयान पर अपनी प्रतिक्रिया दिया है, जिसमें जयराम महतो के द्वारा कहा गया है कि मस्जिद जाने वाले संसद में नहीं जा सकते. जुनैद अनवर ने विज्ञप्ति में आगे कहा कि आजाद देश में जो बोलने का अधिकार मिला है, उस अधिकार को आजादी के रूप में देने वाले मस्जिदों से निकले मौलाना ही थे. जिन्होंने स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी. ये मैं नहीं कह रहा, बल्कि इतिहासकार अपने किताबों में लिखते है. किसी भी विषय पर बोलने से पहले उसके बारे में अच्छे से अध्यन कर लेना चाहिए.
इतिहासकार सर जॉन ने अपने पुस्तक 1857 का इतिहास में कहा है कि विद्रोह दबाने के नाम पर मुसलमानों को जड़ से उखाड़ दिया गया. दिल्ली में हर गली में लाशें पड़ीं थीं. बच्चे-बुजुर्ग तक को नहीं छोड़ा गया जिसमें अधिकतर मौलाना थे. अंग्रेज लेखक विलियम हंटर ने अपनी किताब ‘द इंडियन मुसुलमन्स’ में लिखा है कि 1857 के बाद दमन इतना भयानक था, कि दिल्ली से पेशावर तक हर पेड़ पर मुसलमानों खासकर उलेमा और मौलानाओं को फांसी दी गई. आज भी कई ऐसे लोग हैं, जो मस्जिद और मदरसों से निकल कर सांसद और विधायक हैं.
जुनैद अनवर ने कहा कि जयराम भाजपा के तर्ज पर नफ़रत फैला कर राजनीतिक सीढ़िया चढ़ना चाहते हैं. जो शर्मनाक है. जयराम महतों का बयान उन स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान है, जो मदरसों और मस्जिदों से निकल कर स्वतंतृता के लिए फाँसी पर चढ़ गए. जयराम महतों का हाल उस कहावत की तरह है जिसमें कहा गया अधजल गगरी छलकत जाए. जयराम ने महतो मुसलमानों के आस्था पर चोट किया है. 