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इस्लाम के संदेश को अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना तबलीग़ का मकसद: मौलाना अबूदरदा


कमरूल आरफी
बालूमाथ (लातेहार)। स्थानीय जामा मस्जिद में चतरा- जोन का दो दिवसीय तब्लीगी इस्तेमा का रविवार दोपहर सामूहिक दुआ के साथ समापन हो गया. अंतिम नशिस्त में झारखंड के 11 जिलों से आए तब्लीगी साथियों और उपस्थित समूह को संबोधित करते हुए तब्लीगी जमात के जिम्मेदार चतरा के मौलाना अबूदरदा ने कहा कि इस्लाम के संदेश को समाज के अंतिम व्यक्ति तक पहुंचाना तबलीग़ का मकसद है. तबलीग़ समाज सुधार का बड़ा माध्यम है. जिसमें अमन, शांति का संदेश निहित है. उन्होंने कहा कि तबलीग़ की मुहिम ने समाज की धारा से गाफिल अनगिनत लोगों को मुख्य धारा में लाने का बेहतरीन काम किया है. इससे पूर्व शनिवार को सुबह दो दिवसीय तब्लीगी इस्तेमा की शुरुआत हुई. जिसमें चतरा के मौलाना नईम साहब क़ासमी, बोकारो के वसीम साहब, शमशुल हक़ साहब, धनबाद के आफताब साहब, महताब साहब का अलग अलग सत्र में बयान हुआ.

जिसमें वक्ताओं ने दुनिया के मोह को त्याग कर आख़िरत बनाने के लिए अच्छे अमल करने की बात कही. वक्ताओं ने कहा कि मुख्तसर सी दुनियावी जिंदगी के लिए हम अल्लाह के फरमान से ग़ाफ़िल होकर जिंदगी गुज़ार रहे हैं. अल्लाह के फरमान व मुहम्मद साहब के द्वारा दी गई शिक्षा के साथ जिंदगी जीने, ग़रीबों, बेवाओं, यतीमों, मिस्किनों की मदद करने से अल्लाह हमें जिंदगी और आखरत में भी इसका अजर देगा. इस दो दिवसीय तब्लीगी इस्तेमा का आयोजन चतरा जोन के जिम्मेदारों की देख रेख में आयोजित किया गया.

कार्यक्रम में चतरा, लातेहार, पलामू, गढ़वा, कोडरमा, गिरिडीह, हजारीबाग, धनबाद, रामगढ़ तथा जामताड़ा जिले के तब्लीगी साथियों का जुटान हुआ. रविवार को दोपहर मौलाना अबूदरदा के द्वारा सामूहिक दुआ कराई गई. जिसमें मुल्क की अमन व शांति, तरक्की, भाईचारगी, एक दूसरे के लिए दिल में सम्मान होने की दुआ मांगी गई.




