महासभा के जॉर्ज मोनोपल्ली (धोती फादर) व सह संयोजक सेलेस्टीन कुजूर ने बताया कि शर्ता के अनुसार वन पट्टा निर्गत करने एवं त्रुटियों में सुधार के लिए शिविरों का आयोजन किया जा रहा है. तीसरे दिन गुरूवार को मनिका अंचल के करीब 74 व्यक्तिगत दावा अभिलेखों की जांच की गयी. लेकिन अनुमंंडल कार्यालय में चल रहे इस कैंंप में वन विभाग के अधिकारी व कर्मियों के भाग नहीं लेने से कार्य में व्यवधान उत्पन्न हो रहा है.
श्री कुजूर ने कहा कि इससे वन विभाग का कानून और ग्राम सभा के प्रति नकारात्मक मानसिकता का सहज ही अंदाजा लगाया जा रहा है. ऐसे में आक्रोशित आन्दोलनकारियों के अगले निशाने पर जिले के वन अधिकारी हो सकते हैं. ग्रामसभायें वन अधिकारियों के कार्यशैली से खासे नाराज हैं गुरूवार को मनिका अंचल के जिन दावा अभिलेखों की राजस्व कर्मियों ने जांचकर टिप्पणियां लिपिबद्ध की हैं, उनमें दावित नक्शों में कहीं अध्यक्ष, कहीं सचिव, कहीं अंचल अमीन का हस्ताक्षर नहीं होने जैसे मामूली त्रुटियां पायी गयी है. भौतिक स्थल निरीक्षण प्रतिवेदन में राजस्व कर्मचारी व वनपालों के टिप्पणी एवं हस्ताक्षर नहीं पाये गये हैं. ऐसी ही अन्य छोटी मोटी त्रुटियाँ सामने आई हैं, अगर सभी पक्ष उपस्थित रहें तो इन त्रुटियों को तत्काल दूर किया जा सकता है.
उन्होने कहा कि इस बीच महुआडाड अनुमंंडल स्तरीय समिति के 18 जुलाई 2025 के बैठक कार्यवाही की प्रति भी सामने आई है. जिसमें ग्राम सभा हुरदाग, चेतमा और अक्सी के सामुदायिक दावों को वनकर्मियों के इस आपत्ति के साथ अस्वीकृत किए गए कि यह क्षेत्र पलामू ब्याघ्र परियोजना और भेड़िया आश्रयणी का भाग है. इसमें मानव प्रवेश पशु प्रवेश, वन संपदा का नुकसान एवं अन्य वन्य प्राणियों को को आश्रय में काफी नुकसान होने की संभावना बता कर दावे अस्वीकृत किए गए हैं. इससे उन इलाकों में वन विभाग और सरकारी अधिकारियों के खिलाफ आक्रोश बढ़ता जा रहा है. आज के शिविर में बतौर विशेषज्ञ भूखन सिंह, सेलेस्टीन कुजूर, धोती फादर, मनिका अंचल के कर्मचारीगण एवं सम्बंधित सभी ग्राम सभाओं के अध्यक्ष एवं सचिव उपस्थित थे.