


महानिदेशक ने अपने संदेश में वाहिनी द्वारा अब तक प्राप्त परिचालनात्मक एवं प्रशासनिक उपलब्धियों की सराहना की और समस्त अधिकारियों व कार्मिकों को भविष्य में भी राष्ट्र सेवा में समर्पित भाव से कार्य करते रहने हेतु प्रेरित किया. स्थापना दिवस के मौके पर कमांडेंट राजेश सिंह के द्वारा वाहिनी के उज्जवल भविष्य की कामना की गयी और मंदिर में पूजा-अर्चना किया गया.
उन्होने शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित कर शहीदों को श्रद्धांजलि दी. इसी क्रम में क्वार्टर गार्ड में गार्ड कमांडर द्वारा कमांडेंट को सलामी दी गई. कमाडेंट श्री कुमार ने गार्ड का निरीक्षण भी किया गया. उन्होने अपने संबोधन में बताया कि 32 वीं वाहिनी सशस्त्र सीमा बल की स्थापना सात नवम्बर 2005 को हावली (असम) में की गई थी. प्रारंभ में यह वाहिनी वर्ष 2005 से 2016 तक भारत-भूटान सीमा पर तैनात रही और सीमा सुरक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया.
देश में बढ़ते नक्सलवाद एवं आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनज़र वर्ष 2017 में इस वाहिनी को नक्सल विरोधी अभियान हेतु मुजफ्फरपुर (बिहार) में पुनः तैनात किया गया. 2022 में वाहिनी का विस्थापन गया (बिहार) के डोभी, 2024 में गुमला (झारखंड) तथा वर्ष 2025 में लातेहार (झारखंड) में इसकी तैनाती की गई.
उन्होने बताया कि वाहिनी ने केवल नक्सल विरोधी अभियानों में ही नहीं, बल्कि विभिन्न राज्यों के चुनाव ड्यूटी, जम्मू-कश्मीर में श्री अमरनाथ जी यात्रा, तथा श्री रामनवमी, दुर्गा पूजा, मोहर्रम एवं बकरीद जैसे पर्वों के दौरान कानून-व्यवस्था बनाए रखने में भी उत्कृष्ट सेवाएँ प्रदान की हैं. अपनी उत्कृष्ट कार्यप्रणाली के लिए वाहिनी को वर्ष 2020-21 एवं 2023-24 में “उत्कृष्ट वाहिनी” के सम्मान से सम्मानित किया गया है. राष्ट्र सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले उप-निरीक्षक भूपाल सिंह को “कीर्ति चक्र” से अलंकृत किया गया. स्थापना दिवस के मौके पर कई कार्यक्रमों का आयोजन किया गया.