लातेहार
हिंदुओं ने कभी यह नहीं चाहा कि विश्व में सिर्फ हिंदु हो: अबंरीश


उन्होने कहा कि भारतीय संस्कृति और विरासत काफी समृद्ध है. जब पूरे विश्व के लोग पेड़ों की छाल पहनते थे, तब भारत ने नक्षत्रों की दूरी माप ली थी. उन्होने अपने संबोधन में आगे कहा कि भारत की संस्कृति प्राचीनतम है. उन्होने कहा कि वसुधैव कुटुंकम् हिंदु संस्कृति का जीवन दर्शन है. हम पूरे विश्व को एक परिवार मानते हैं. सभी की चिंता करने वाला एकमैव संस्कृति ही हिंदु संस्कृति है. हम सर्वे भवन्तु सखिन:ह सर्वे सन्तु निरामय के सिंद्धांत पर चलने वाले लोग हैं.
हम पूरे विश्व की सुखी व निरोग होने की कामना करते हैं. ऐसी निश्चल भावना हिंदु संस्कृति होती है. उन्होने आगे कहा कि पर्यावरण के ममत्व ही हिंदु संस्कृति की विशेषता है. नदियों, पेड़ पौधों को हम देवी देवता के रूप में पूजते हैं. उन्होने कहा कि इससे अच्छा सेस्टेनबल उदाहरण और क्या हो सकता है.
मौके पर विश्व हिंदु परिषद की दुर्गावाहिनी की क्षेत्र संयोजिका डा शोभा रानी सिंहं, प्रांत मातृशक्ति प्रमुख दीपारानी कुंज, झारखंड प्रांत मंत्री मिथेश्वर मिश्र, झारखंड प्रांत मातृशक्ति सह प्रमुख सुषमा सुमन, झारखंड प्रांत सह मंत्री मनोज पोद्दार, झारखंड प्रांत मिलन सह प्रमुख कुमार, विभाग संगठन मंत्री पलामू विजय यादव, जिला संरक्षक रामनाथ अग्रवाल, विहिप जिला अध्यक्ष श्याम किशोर अग्रवाल व जिला मंत्री संजय तिवारी, कंचन कुमारी, कुमारी जया, कुमारी सुधा आदि मौजूद थीं.