लातेहार
झारखंड जनाधिकार महासभा ने वनाधिकार कानून को सख्ती से लागू करने की मांग की, मंत्री को ज्ञापन सौंपा


बताया जाता है कि संबंधित वन प्रमंडल पदाधिकारियों द्वारा अधिकार पत्र में हस्ताक्षर करने से इंकार कर दिया गया है. ज्ञापन में 2019 में करीब 28000 निरस्त दावों की पुनरीक्षण करने का वादा झारखण्ड सरकार ने सर्वोच न्यायालय में हलफनामा देकर किया था. आज की तारीख में झारखंंड में निरस्त दावा करीब 40,000 है. लेकिन आज तक उन दावों की पुनरीक्षण नहीं हुआ है. प्राय सभी दावा अनुमंडल और जिला स्तरीय समिति के द्वारा कानून के स्पष्ट प्रावधानों की उल्लंघन करके निरस्त किया है. ज्ञापन में आगे कहा गया है कि अनुमंडल और जिला स्तरीय वन अधिकार समिति के गठन में भी कानून का उल्लंघन हो रहा है. दोनों समितियों में, सिर्फ छह-छह सदस्यों को शामिल करना है लेकिन छह से अधिक सदस्यों को शामिल करते हुए, कुछ जिलों में अधिसूचना जारी किये है. लातेहार जिले के महुआडाड अनुमंडल स्तरीय समिति में भार-साधक् वन विभाग के अधिकारी के बदले विभाग के निम्न स्तर के वन पाल लोग एसडीएलसी की बैठक में वन विभाग का प्रतिनिधित्व कर रहे है. यह एक गंभीर विषय है.
ज्ञापन में कहा गया है कि वन अधिकारों को निहित करने की प्रक्रिया में दावों की भौतिक सत्यापन सबसे महत्व पूर्ण कड़ी है. वन और राजस्व विभाग को सम्यक सूचना देकर ग्राम वन अधिकार समिति को भौतिक सत्यापन करना है,. लेकिन पूरे झारखण्ड में वन और राजस्व विभाग के अधिकारी दावों की भौतिक सत्यापन में सहयोग नहीं कर रहे है. ज्ञापन में वनाधिकार कानून को सख्ती से लागू कराने एवं प्रावधानों का अनुपालन कराने की मांग की गयी है. प्रतिनिधियों में जॉर्ज मोनिप्पल्ली, एलिना होरो, सेलेस्टिन कुजूर, रोज मधु कुजूर, सिसिलिया लकड़ा आदि शामिल थे.