लातेहार
श्रीरामनवमी पूजा महासमिति ने सांप्रदायिक सोहार्द की मिशाल पेश की


आशीष टैगोर
इससे पहले समिति के सागर कुमार ने मो आफताब को बैज पहनाया. जब शुभम संवाद ने उनसे बात की, तो मो आलम ने बताया कि हमें हर धर्म के पर्व व त्यौहारों का सम्मान करना चाहिए. भगवान श्रीराम ने समाज में एक आदर्श और मर्यादा स्थापित की थी. हर धर्म हमें परोपकार व सत्कार का संदेश देता है. उन्होने कहा कि रामनवमी महज एक पर्व या त्यौहार नहीं है, यह मर्यादा पुरूषोत्तम राम के आदर्शों को आत्मसात करने का अवसर है. इस पर्व की सार्थकता तभी पूरी होगी जब हम उनके आदर्शों को अपने आचरण में उतारें. मैने ( आशीष टैगोर) पहले कहा कि लातेहार प्रारंभ से ही सांप्रदायिक सोहार्द की मिशाल पेश करता आया है. इसका एक और उदाहरण पेश कर रहा हूं. हालांकि कई लोग मुझसे इत्तेफाक रखते हैं.
आज से 33 साल पहले शहर के कारगिल पार्क ( तब एक तालाब को भर कर चिल्ड्रेन पार्क बनाया गया था) के पास जब श्री वैष्णव दुर्गा मंदिर का निमार्ण कराया जा रहा था, उस समय मंदिर निर्माण समिति का अध्यक्ष अभिनंदन प्रसाद और उपाध्यक्ष मुस्लिम संप्रदाय के मो शफीक (अब मरहुम) को बनाया गया था. मंदिर के शिलापट्ट पर आज भी मो शफीक का नाम अंकित है. मैं भी उस समिति शामिल था. मुझे याद है मो शफीक ने एक नजीर पेश की थी और उस समय सर्वाधिक सहयोग राशि दे कर मंदिर समिति के सदस्यों का उत्साहवर्द्धन किया था. श्री वैष्णव मंदिर के निर्माण में मो शफीक के योगदानों को नकारा नहीं जा सकता है. जब मंदिर अपना 25 वां वार्षिकोत्सव मना रहा था तो मो शफीक के सुपुत्र मो शकील अख्तर को मंदिर समिति के आग्रह पर तत्कालीन उपायुक्त प्रमोद प्रसाद ने चुनरी भेंट कर सम्मानित किया था. आज भी मरहुम मो शफीक के परिजनों के प्रति मंदिर समिति प्रबंधन के सदस्यों का आदर व सम्मान का भाव है.