नौ से दस किलोमीटर पैदल चले तब पहुंचे मतदान केंद्र तक
रात के दो बजे ही मतदान केद्र के लिए निकल गये थे, सुबह पहुंचे

Ashish Tagore
Latehar: निर्धारित समय पर मतदान कार्य शुरू हो, इसके पीछे कितनी तैयारी रहती है, इसे समझना जरूरी है. कई संवेदनशील बूथों के मतदान कर्मियों को रात के दो बजे से अपने मतदान केद्र की ओर निकल जाना पड़ा. घनघोर अंधेरा और घने जंगलों के बीच से तकरीबन नौ से दस किलोमीटर की पैदल दूरी तय की, तब जा कर मतदान केंद्र तक पहुंचे. तकरीबन तीन से चार घंटे उन्हें मतदान केंद्र पहुंचने में लगे. बावजूद इन मतदान कर्मियों के चेहरे पर शिकन नहीं थी. उन्होने कहा कि उन्हें लोकतंत्र के इस महापर्व में अपनी सहभागिता निभाने का अवसर मिला है. हालांकि यह जरूर कहा कि पिछले पांच-दस साल पहले तक इन क्षेत्रों में दिन भी घुमना घातक हो सकता था, लेकिन अब माहौल बदल गया है. हम रात के अंधेरे में भी बेखौफ चले. कहीं कोई परेशानी नहीं हुई. ग्रामीणों का भी उन्हें भरपूर समर्थन मिला. पहले तो चुनाव बहिष्कार के नारों के बीच भय के माहौल में मतदान कराना पड़ता था. यहां हम बात कर रहे हैं मनिका विधानसभा क्षेत्र के कई ऐसे मतदान केंंद्रों की, जो अति उग्रवाद प्रभवित क्षेत्र में हैं. इन्हें पहले अति संवेदनशील माना जाता था. यहां तक वाहनों का जाना मुश्किल है. मनिका विधानसभा के कई मतदान केंद्र के कर्मियों को 11 व 12 नवंबर को ट्रेन से अपने कलस्टर व मतदान केंद्र के लिए रवाना किया था. 13 नवंबर को मतदान संपन्न करा कर ये मतदान कर्मी 14 नवंबर की सुबह ट्रेन से ही लातेहार स्टेशन पहुंचे. इन्हें कड़ी सुरक्षा के बीच पॉलिटेक्निक कॉलेज मे बनाए गए स्ट्रांग रूम ले जाया गया. बातचीत करते हुए इन मतदान कर्मियों ने बताया कि मतदान करने के लिए सीआरपीएफ जवानों के साथ वे रात के दो बजे ही अपने पोलिंग बूथ पर निकल गए थे. 9 से 10 किलोमीटर पैदल चले. चारों ओर अंधेरा व घना जंगल था. 13 नवंबर की सुबह मतदान केंद्र पर पहुंचे. हालांकि उन्होने बताया कि मतदान केंद्रों में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम था. हम लोग सुरक्षित मतदान कराकर लातेहार वापस आ गए हैं. उन्होने कहा कि सारी व्यवस्था बढ़िया थी. रहने-खाने में भी कहीं कोई दिक्कत नहीं थी.



