


इसकी जानकारी शनिवार को लातेहार के एक होटल में आयोजित प्रेसवार्ता में महासभा के फादर जार्ज मोनोपॉली एवं सेलेस्टीन कुजूर ने संयुक्त रूप से दी. उन्होंने कहा कि वन अधिकार अधिनियम का जिला प्रशासन खुला उल्लंघन किया जा रहा है. प्रशासन वन आश्रित समुदाय को उनके अधिकारों से वंचित कर रही है. इसे कतई बरदास्त नहीं किया जायेगा.
उन्होने कहा कि वन आश्रितों के कब्जे वाली वन भूमि पर वन रोपण कर उन्हें वहां से बेदखल किया जा रहा है. शांतिपूर्ण विरोध करने पर कानून का दुरुपयोग करके झूठे केस में उन्हें फंसा कर परेशान किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में एक भी पट्टा नहीं दिए गए. जबकि, जिले में व्यक्तिगत दावे के लगभग 1750 लंबित हैं.
जबकि सामुदायिक वन पट्टा के लगभग 250 मामले लंबित हैं. फादर जार्ज मोनोपॉली ने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए ही महासभा ने अनिश्चितकालीन धरना देने का निर्णय लिया है. प्रेस वार्ता में नंद किशोर गंझु व प्रवेश राणा समेत कई लोग मौजूद थे. 