


मेडोल कंपनी के लातेहार प्रबंधक ने बताया कि यहां रोजाना लगभग 60 से 70 मरीजों की जांच होती थी. इनमें वे मरीज भी शामिल थे जो राशन कार्ड लेकर आते थे. उन्हें मुफ्त जांच सुविधा दी जाती थी. इस व्यवस्था से गरीब मरीजों को बड़ी राहत मिलती थी. लेकिन सरकार की ओर से कार्यकाल बढ़ाने की अनुमति नहीं मिलने के कारण कंपनी को लेबोरेट्री बंद करनी पड़ी. अब गरीब और असहाय मरीजों को प्राइवेट लैबोरेट्री में महंगे दर पर जांच करानी पड़ रही है, जिससे कई मरीज आर्थिक तंगी के कारण जांच नहीं करा पा रहे हैं.
इस संबंध में जब लातेहार के सिविल सर्जन राजमोहन खलको से बात की गई, तो उन्होंने बताया कि सदर अस्पताल की अपनी जांच लैब है जिसे सुदृढ़ किया जा रहा है. अस्पताल कर्मियों को निर्देश दिया गया है कि अधिक से अधिक मरीजों की जांच अस्पताल परिसर में ही की जाए. फिलहाल, मेडोल जांच लैब बंद होने से मरीजों की परेशानी बढ़ गई है और उन्हें अस्पताल के बाहर जाकर जांच करानी पड़ रही है. 