


वही झारिवा तालाब में पंडित दीनानाथ वैध ने पूजन कराया. ज्ञात हो कि नहाय-खाय के साथ शनिवार से शुरू हुए लोक आस्था के इस महापर्व के दूसरे दिन व्रतियों के सूर्यास्त होने पर खरना खीर का भोग लगाये जाने के बाद उनके द्वारा रखा गया 36 घंटे का निर्जला उपवास सोमवार की शाम डूबते हुए सूर्य एवं मंगलवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद पारण भोजन ग्रहण करने के साथ संपन्न हो गया. आखिरी दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देने का विधान है. इसी के साथ व्रती घाट पर ही पूजा के बाद प्रसाद खाकर अपना व्रत खोलते है. सुबह घुटने तक पानी में खड़े होकर व्रतधारियों ने सूप, बांस की डलिया में मौसमी फल, गन्ना सहित पूजन सामाग्री औऱ गाय के दूध से भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया और सुख समृ्दधि की कामना की. छठ पर्व को लेकर चार दिनों तक पूरा बालूमाथ प्रखंड भक्तिमय रहा.
बालूमाथ के इलाके में छठ पूजा के पारंपरिक गीत गूंजते रहे. बालूमाथ पुलिस द्वारा चौक चौराहो से लेकर छठ घाट पर भारी सुरक्षा व्यवस्था का इंतेजाम किया गया था. अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी विनोद रवानी, पुलिस इंस्पेक्टर परमानंद बिरुआ, थाना प्रभारी अमरेंद्र कुमार सिंह स्वयं सुरक्षा व्यवस्था की निगरानी कर रहे थे. मकयाटाड़ छठ घाट में पिकेट प्रभारी रामजी ठाकुर अपने दलबल के साथ सुरक्षा में तैनात थे.
बालूमाथ, शेरेगडा़, चेताग, बसिया, बालू, भागिया, धाधू, गणेशपुर, झाबर, मारंगलोईया, मासियातू, मुरपा, रजवार पंचायत के विभिन्न जलाशयों में व्रतियों ने छठ पूजा पर डूबते और उदीयमान सूर्य को अर्घ्य दिया. इस मौके पर बालूमाथ अंचल अधिकारी बालेश्वर राम, प्रखंड विकास पदाधिकारी सोमा उरांव ने व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित करने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. मुखिया नरेश लोहरा, ईश्वरी पासवान सहित छठ समिति के अध्यक्ष रवि सिंह,रवि रजक, हिमांशू कुमार, लालदेव गंझु, नीरज कुमार, राजा तिवारी सहित समिति के सदस्यों का सराहनीय योगदान रहा.