
लातेहार। शहर के चंदनडीह अंचल में हर वर्ष धूमधाम से मनाये जाने वाले करमा (कर्म) पर्व इस बार भी धूमधाम से मनाया गया। स्थानीय महिला एवं कन्याओं ने पारंपरिक लोकगीतों एवं सामूहिक नृत्यों के साथ व्रत रखकर करम देव की पूजा-अर्चना में रस घोला। विशेष रूप से चंदनडीह के कोने-कोने में ‘अखड़ा’ सजाए गए, जहां युवा-युवती ढोल-नगाड़े की थाप पर थिरकते हुए भूमि और प्रकृति की उपज व रक्षा की कामना करते नजर आए।
चंदनडीह, उदयपुरा, जंगलदगा और सबानो जैसी ग्रामीण क्षेत्रों में पूजा के दौरान व्रतधारिणी कन्याएं करम डाल की स्थापना कर पिता, भाई और समाज की समृद्धि के लिए विधिवत पूजा करती रहीं. तत्पश्चात पुरोहित सिबू लोहरा ने करमा-धरमा की प्रेरक कथा सुनाई—जो प्राकृतिक संजीवनी के साथ भाई-बहन के अटूट प्रेम और मानवता के मूल सिद्धांतों का प्रतीक है. सभी करमैतियों ने पारंपरिक लोकगीत गाए और कृषि-उत्पादकता के लिए शुभ ऊर्जा का संकल्प लिया.




