
कमरूल आरफी.
बालूमाथ (लातेहार)। ‘कौन कहता है कि आसमान में सुराख नहीं हो सकता, बस एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों’ दुष्यंत कुमार की इन पंक्तियों को साकार होता हुआ देखने की ख्वाहिश रखते हैं, तो एक बार अवश्य आपको जिला परिषद द्वारा संचालित बालूमाथ बस स्टैंड का मुआयना करना चाहिए.

अगर आप एक पखवाड़े पहले उस जगह पर गए हों और आज जाते हैं तो पहले और आज की स्थिति में बड़ा बदलाव महसूस कर पाएंगे. जहां पहले पूरे परिसर के लगभग हिस्से पर मालवाहक ट्रक व हाइवा का कब्जा रहता था, जिससे बसें स्टैंड के बाहर से ही यात्रियों को उतारती और सवार करती थी, बस पड़ाव परिसर में अनाधिकृत दुकान व गुमटियां अपना निरन्तर विस्तार कर रही थीं, गंदगी और कचरे का अंबार लगा रहता था, यात्री शेड और चबूतरे पर मुसाफिरों के बजाय होटल संचालक कब्जा जमाए बैठे थे. एक पखवाड़े पहले की ये समस्याएं अब इनमें अधिकतर समाधान का रूप ले लीं हैं. मालवाहक ट्रक व हाइवा से बस स्टैंड परिसर मुक्त हो गया है. परिसर में अनाधिकृत दुकान व गुमटियां हटा दी गई हैं.









