
लातेहार। जिले के चंदवा प्रखंड के अमझरिया में आनंद मार्ग प्रचारक संघ के तत्वावधान में आयोजित आठ दिवसीय “बाबा नाम केवलम् कीर्तन संपन्न हो गया है. सद्गुरु श्री आनंदमूर्ति जी ने आठ अक्टूबर 1970 को अमझरिया, लातेहार जिला में इसकी स्थापना की थी.

उन्होने कहा था कि आठ अक्षरों वाला यह शक्तिशाली और सार्वभौमिक मंत्र, सार्वभौमिक प्रेम का सार है और दुनिया भर के आध्यात्मिक साधकों द्वारा इसका अभ्यास किया जाता है. कीर्तन की समाप्ति के बाद आचार्य नभतीतानंद अवधूत ने अपने आध्यात्मिक उद्बोधन में कहा कि ईश्वर की प्राप्ति के सुगम साधन कीर्तन है. कीर्तन, भक्ति और ध्यान का अद्वितीय माध्यम है.

इससे व्यक्ति ईश्वर के साथ गहरा संवाद स्थापित कर सकता है. उन्होंने ने बताया कि कीर्तन की शक्ति व्यक्ति को अविरल ध्यान, स्थिरता और आनंद की अनुभूति देती है. यह एक अद्वितीय विधि है जो हमें मन, शरीर और आत्मा के संगम के अनुभव को आदर्श दर्शाती है. कीर्तन से हम अपने मन को संयमित कर सकते हैं और इंद्रियों के विषयों के प्रति वैराग्य की प्राप्ति कर सकते हैं. उपस्थित आदर्शवादियों को यह संदेश दिया कि कीर्तन एक उच्चतम और श्रेष्ठतम भावनात्मक अभ्यास है, जो हमें अशांति, तनाव और चिंता से मुक्ति दिलाता है.




