लातेहार। सदर प्रखंंड के ईचाक पंचायत के दुगिला में पारंंपरिक स्वशासन पड़हा व्यवस्था के तहत झंडा बदली एंव धुमकुड़िया वार्षिक उत्सव मनाया गया. इसे संस्कृति बचाओ धरोहर बचाओ के रूप में मनाया गया. कार्यक्रम में उरांव समाज में हो रहे शोषण व अन्याय के खिलाफ़ लड़ने के लिए जागरूक किया गया.
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कार्यक्रम में मुख्य रुप से उपस्थित प्रधान व छात्र नेता कमलेश उरांव ने कहा कि उरांव जनजाति अपने देश भारत के वास्तविक इतिहास को अपने समाज में बताने का काम करेगी. उरांव जनजाति का अपना इतिहास रहा है. भारत देश के साथ गद्दारी करने वालों से सबसे पहली लड़ाई लड़ने वाला उरांव जनजाति के लोग ही हैं. देश के वास्तविक धर्म व संस्कृति को बचाने में उरांव जनजाति अपना जीवन समर्पित कर दिया है.
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आज हमारे समाज में विदेशी धर्म अपनाने वाले लोग आकर उरांव समाज को तोड़ने का काम कर रहे हैं. वैसे विधर्मी को अब उरांव समाज एकजुट होकर उसे यहां से भगाने का काम करेगा. उरांव जनजाति समाज धर्मेश यानी महादेव (शिव) चला आयो यानी पार्वती को अपना भगवान मानते हैं. कार्यक्रम में मुख्य रुप से ईचाक पंचायत के मुखिया शशि कुजूर, ग्राम प्रधान सुकु उरांव, नरेश उरांव, अरूण उरांव, रामा उरांव, फुलदेव उरांव, कार्तिक उरांव, हीरामणी, मुनियां, सावित्री,अंगनी, अमृता,चंचल एवं पड़हा राजा,पड़हा बेल समेंत उरांव समाज के सैकड़ों लोग उपस्थित थे.