


रैली शहीद चौक, शास्त्री चौक बिरसा मुंडा चौक होते हुए अनुमंडल कार्यालय तक निकाली गई. रैली के दौरान आदिवासियों का हकमारी बंद करो, संविधान को छेड़ना बंद करो, एसटी सूंची मे घुसपैठ करना बंद करो, कुरमी महतो एसटी का दर्जा मांगना बंद करो आदि के नारे लगाये. आदिवासी एक्टिविस्ट और लेखक ग्लैडसन डुंगडुंग ने कहा कि हमारे पुरखों ने तीर-धनुष से लड़ाई की थी, हम कागज-कलम से लड़ेंगे.
उन्होंने कहा कि कुड़मी समुदाय झारखंड में सबसे बड़ा कब्जाधारी है. 1872 से 1921 तक किसी भी जनगणना में इनका नाम आदिवासियों के रूप में दर्ज नहीं था् अगर ये आदिवासी हैं, तो जयराम महतो की पार्टी ने अपने घोषणापत्र में कुड़मियों के लिए इडब्ल्यूएस की तर्ज पर आरक्षण की मांग क्यों की थी. अजय तिर्की ने कहा कि रेल टेका, डहर छेका से आदिवासी नहीं बना जाता, संविधान में पांच मानक हैं, जिस पर वे खरे नहीं उतरते हैं.
शशि पन्ना ने कहा कि कुड़मियों के मन में आदिवासी बनने का विचार हाल के कुछ वर्षों से ही आया है, इसके पीछे उनकी राजनीतिक मंशा है. कुड़मियों को हमेशा कृषक जाति के रूप में ही सूचीबद्ध किया गया है. ज्योत्सना केरकेट्टा ने कहा कि आज हमारी अस्मिता और अस्तित्व पर संकट है हमारे अधिकारों पर चोट की जा रही है, यह हम बर्दाश्त नही करेगेंं.
सभा को मनीना कुजूर, सत्यप्रकाश हुरहुरिया समेत कइ वक्ताओ ने किया. सभा का संचालन अजितपाल कुजूर ने किया. सभा के अंत मे राष्ट्रपति के नाम पर बीठीओ को ज्ञापन सौंपा. मौके पर उपरोक्त लोगों के अलावा जिप सदस्य इस्तेला नगेशिया, प्रमुख कंचन कुजूर फादर दिलीप एक्का विभिन्न पंचायत के मुखिया पंचायत समिती सदस्य समेत हजारो की संख्या मे महिला पुरूष मौजूद थे.