
आशीष टैगोर
लातेहार। पिछले 24 जुलाई 2025 की सुबह पुलिस और जेजएमपी ( झारखंड जनमुक्ति परिषद) के उग्रवादियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. उस मुठभेड़ में जेजेएमपी सुप्रीमो पप्पू लोहरा और प्रभात गंझू मारे गया था. पप्पू लोहरा के मारे जाने के बाद से ही जेजेएमपी संगठन कमजोर पड़ता चला गया. अब एक साथ जेजेएमपी के नौ उग्रवादियों के सरेंडर कर दिये जाने से जेजेएमपी संगठन का सफाया हो गया है. पुलिस के बढ़ते दवाब के कारण पप्पू लोहरा के मारे जाने के बाद सब जोनल कमांडर लवलेश गंझू और बैद्यनाथ सिंह पिछले महीने ही सरेंडर कर चुके थे. जबकि एक सितंबर को जोनल कमांडर रविंद्र गंझू समेंत नौ उग्रवादियों ने हथियार के साथ सरेंडर कर दिया. इनमें चार सब जोनल कमांडर व चार एरिया कमांडर शामिल हैं. नौ से पांच उग्रवादियों पर कुल 23 लाख रूपये का इनाम था.

जेजेएमपी के कई उग्रवादी कर चुके हैं सरेंडर
इससे पहले भी जेजेएमपी के कई उग्रवादी सरेंडर कर चुके हैं. इनमें जोनल कमांडर मनोहर परिहया, सब जोनल कमांडर लवलेश गंझू, सब जोनल कमांडर बैद्यनाथ सिंह, एरिया कमांडर रघुनाथ सिंह खेरवार, सतेंद्र यादव उर्फ अभिमन्यु, संजय प्रजापति व दीपक कुमार भुईंया उर्फ कुंदन जी, तुलसी गंझू उर्फ विशाल जी, पलेंद्र भोक्ता उर्फ अजीत जी, प्रमोद गंझू, पप्पू साव और चंदन प्रसाद का नाम शामिल है.

पुलिस के लिए सिर दर्द बन गया था पप्पू लोहरा
एक समय था जब उग्रवादी संगठन जेजेएमपी सुप्रीमो पप्पू लोहरा झारखंड पुलिस के साथ मूवमेंट करता था और नक्सल विरोध अभियानों में वह पुलिस व अर्द्धसैनिक बलों के साथ होता था. 16 दिसंबर 2018 को जंगल की एक फोटो वायरल हुआ था, फोटो में सीआरपीएफ के अधिकारी व जवान थे और साथ में जेजेएमपी का सुप्रीमो पप्पू लोहरा व सुशील उरांव भी था. तब भी पप्पू लोहरा पर 10 लाख इनाम था. फोटो सामने आने के बाद पुलिस मुख्यालय व सीआरपीएफ के अधिकारियों ने इस तस्वीर की जांच कराने की बात कही थी. हालांकि यह कभी सार्वजनिक नहीं हो पायी. बाद में यही पप्पू लोहरा पुलिस के लिए सिर दर्द बन गया था.

लातेहार जिले के सलैया जंगल में 28 सितंबर 2021 को सुरक्षाबलों की जेजेएमपी के उग्रवादियों के साथ मुठभेड़ हुई थी. इसमें बीएसएफ के डिप्टी कमांडेंट राजेश कुमार शहीद हो गये थे. वह प्रतिनियुक्ति पर झारखंड जगुआर में सेवा दे रहे थे. हालांकि इस मुठभेड़ में एक नक्सली भी मारा गया था. जेजेएमपी के साथ मुठभेड़ में यह पहली घटना थी, जब पुलिस को इतनी बड़ी क्षति उठानी पड़ी थी. पप्पू लोहरा क्षेत्र में आतंक का पर्याय बन गया था. क्षेत्र के संवेदक व कारोबारियों से लेवी वसूलना उसका मुख्य धंधा बन चुका था. उसका लातेहार, गढ़वा, गुमला, पलामू व लोहरदगा तथा चतरा जिले में आतंक था.




