


राज्य सरकार के संरक्षण में अपराधी, माफिया ,दलाल , बिचौलियों ने पूरे सरकारी तंत्र पर कब्जा जमा लिया है. इनका विरोध करने पर नृशंस हत्या , बिना कारण मुकदमे,धमकी ,फिरौती जैसी सजा सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं को भुगतने केलिए विवश होना पड़ रहा है. विगत दिनों संथाल परगना के प्रसिद्ध सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ता की राज्य की पुलिस द्वारा एनकाउंटर दिखाकर नृशंस हत्या कर दी गई.
राज्य पुलिस जिन्हें अपराधी बता रही वे लोकतांत्रिक तरीके से राज्य में विभिन्न दलों के टिकट पर चुनाव लड़ चुके थे. सामाजिक कार्यकर्ता के नाते 250 से अधिक गरीब आदिवासी बच्चों को पढ़ाते थे. उनके भोजन,आवास की चिंता करते थे. स्व सूर्या हांसदा पर कोई वारंट नहीं था. 14 मुकदमों में वे बरी हो चुके थे और पांच में जमानत मिल गई थी.
बावजूद इसके राज्य की पुलिस इन्हें अपराधी बताकर घर से उठाती है, टॉर्चर करती है और फिर गोली मार देती है. सांसद प्रतिनिधि अमलेश कुमार सिंह ने कहा कि राज्य में आदिवासियों की हत्याएं हो रही है तो दूसरी ओर आदिवासी रैयतों की नगड़ी में खेतिहर जमीन को रिम्स- 2 के नाम पर राज्य सरकार किसानों को उजाड़ने पर अड़ी हुई है. अबुआ राज की डुगडुगी पीटने वाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार में आदिवासी लूटे भी जा रहे और पीटे भी जा रहे हैं. मौके पर प्रदेश कार्यसमिति सदस्य ओमप्रकाश सिंह, जिला उपाध्यक्ष राकेश कुमार दुबे, जिला महामंत्री बंसी यादव, राजीव रंजन पांडे, विधायक प्रतिनिधि अनिल सिंह, पवन साहू, प्रमोद कुमर, शीला देवी, मालती देवी, रघुवीर यादव, उत्तम कुमार, पंकज यादव, विवेक चंद्रवंशी, बृजेश सिंह, आनंदी सिंह, विष्णु देव गुप्ता, हरि ओम प्रसाद समेत सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे.