
लातेहार: शारदीय नवरात्र के सप्तमी तिथि को शहर के सभी दुर्गा पूजा पंडालों के पट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिये गये. सप्तमी तिथि को पूजा समितियों के द्वारा पूजा अर्चना की गयी. शहर के श्री वैष्णव दुर्गा मंदिर में पंडित त्रिभुवन पांडेय के सानिध्य में पूजा संपन्न कराया गया. यहां पूरे पारंपरिक विधि विधान से मां दुर्गा समेंत अन्य देवी देवताओ की प्रतिमाओ की प्राण प्रतिष्ठा की गयी. मौके पर बतौर मुख्य यजमान संजय प्रसाद गुड्डू और विनोद प्रजापति सप्तनीक मौजूद थे. संध्या में स्थानीय विधायक प्रकाश राम मंदिर पहुंचे और माता का आशीर्वाद प्राप्त किया. मौके पर मंदिर समिति के संरक्षक अभिनंदन प्रसाद, सह सचिव रंजीत कुमार के अलावा भाजपा जिला अध्यक्ष पंकज सिंह, विधायक प्रतिनिधि पवन कुमार, अनिल सिंह, विशाल चंद्र साहू, अमरजीत सिंह और राजदेव प्रसाद आदि मौजूद थे.
शहर के बीचो बीच स्थित राजा दुर्गा बाड़ी में भी आकर्षक पंडाल बनाया गया है. यहां सूर्यदेव उपाध्याय के सानिध्य में पूजा संपन्न कराया गया. मौके पर बतौर मुख्य यजमान भानू प्रताप सिंह, मुकेश पांडेय व हरिओम पांडेय मौजूद थे.


रेलवे स्टेशन क्षेत्र के नवयुवक संघ नवरंग चौक में आकर्षक पंडाल बनाया गया है. यहां विकासकांत पांडेय के सानिध्य में पूजा संपन्न कराया गया. यजमान के रूप मे प्रदीप गिरी मौजूद थे. जबकि डुरूआ सार्वजनिक पूजा समिति में मनीष पाठक के सानिध्य के रंजय सिंह व विष्णुदेव गिरि सप्तनीक मौजूद थे.


काली मंदिर दुर्गा पूजा समिति के तत्वावधान में संतोष मिश्रा के सानध्यि में पूजा संपन्न करायी गयी. मौके पर बतौर यजमान भोला प्रसाद सपत्नीक मौजूद थे.

इसके अलावा रेलवे कॉलनी में बंगाली रीति रिवाज पूजा अर्चना प्रारंभ की गयी. शहर से सटे करकट व होटवाग ग्राम में भी आकर्षक पंडाल व विद्युत सज्जा की गयी है. इससे पहले सभी पूजा समितियों के द्वारा नौपत्री व गंगा पूजन किया गया और माता का आह्रन किया गया. शहर के औरंगा नदी में पूजा समितियों ने माता का आह्रन किया.
काली मंदिर पूजा समिति ने निकाली कलश यात्रा
शारदीय नवरात्र के सप्तमी तिथि को सार्वजनिक काली मंदिर दुर्गा पूजा समिति के द्वारा कलश यात्रा निकाली गयी. कलश यात्रा मंदिर परिसर से निकली और बाइपास रोड होते हुए बाइपास चौक पहुंची. यहां से चटनाही स्थित औरंगा नदी पहुंची. यहां संतोष मिश्रा व अन्य पुजारियों के द्वारा किये गये वेदिक मंत्रोच्चारण के बीच कलशों में जल भरा गया. इसके बाद कलश यात्रा शहर के मुख्य पथ होते हुए पुन: काली मंदिर पहुंची.




