लातेहार
वार्ता के बाद आंदोलनकारियों ने शर्तों के साथ अनिश्चितकालीन धरना स्थगित किया
लातेहार। वनाधिकार कानून के तहत पट्टा देने की मांग को ले कर संयुक्त ग्राम सभा मंच के द्वारा छह अक्टूबर को जिला मुख्यालय में अनिश्चितकालीन धरना का प्रारंभ किया गया. पट्टा नहीं तो वापस नहीं नाम से आयोजित इस धरना कार्यक्रम में जिले के सुदूर गांव व इलाकों से काफी संख्या में आदिवासी व मूलवासियों ने भाग लिया. बाद में जिला प्रशासन के साथ वार्ता के बाद कई शर्त्तों के साथ रात 12 बजे अनिश्चितकालीन धरना को समाप्त करने की घोषणा की गयी.
मंच के जार्ज मोनोपल्ली उर्फ धोती फादर व सेलेस्टिन कुजर ने इसकी जानकारी दी. उन्होने बताया कि शर्तों में लातेहार व महुआडांड़ अनुमंडल के सभी अंचलों से व्यक्तिगत एवं सामुदायिक दावा अभिलेखों के निष्पादन के लिए सात से 14 अक्टूबर तक शिविर लगाये जायेगें. इसमें संबंधित वनाधिकार समिति के अध्यक्ष एवं सचिव ऑन द स्पॉट अभिलेखों की त्रुटियाँ को सुधारेगें और अनुमंडल स्तरीय वनाधिकार समिति को अग्रसारित करेगें.
अनुमंंडल पदाधिकारी सह अनुमंंडल स्तरीय वन अधिकार समिति के अध्यक्ष सही अभिलेखों की अनुशंसा हेतु अनुमंडल स्तरीय वन अधिकार समिति की बैठक की जायेगी और उन दावों को जिला स्तरीय समिति तो अग्रेत्तर कार्रवाई हेतु अग्रसारित किया जायेगा. अनुमंंडल से पारित दावों के निष्पादन हेतु आईटीडीए निदेशक के द्वारा जिला स्तरीय वन अधिकार समिति की बैठक आयोजित की जायेगी. आंदोलनकारियोंं ने कहा कि जिला स्तरीय समिति की कार्यवाही के आलोक में यदि पट्टा निर्गत नहीं की जाती है तो पुन: इसी तर्ज पर आन्दोलन किया जायेगा.
वार्ता के बाद आन्दोलन में शामिल लोगों को वापस अपने घरों को भेजने के लिए रात में ही बस एवं कमांडर सवारी गाड़ियों का इंतजाम कर महुआडाड एवं हेरहंज के लोगों को भेजा गया. बावजूद इसके काफी संख्या में आंदोलन कारी परिसर में मौजूद थे. वे मंगलवार की सुबह अपने गंत्वय की ओर प्रस्थान किये. उन्होने आगे बताया कि ला स्तर एवं लातेहार के दोनों अनुमंडलों में 173 सामदायिक दावे एवं 1803 व्यक्तिगत दावे 2010 से अब तक लंबित पड़े हैं.
इस आन्दोलन का नेतृत्व धोती फादर, सेलेस्टीन कुजूर, गेंदिया देवी, रीता देवी, सुखमनी देवी, भूखन सिंह, कन्हाई सिंह, हरि भगत, नंदकिशोर गंझू, जिला परिषद् सदस्य स्टेला नगेसिया, रघुपाल सिंह, पूर्व जिला परिषद, लातेहार जिला परिषद् बिनोंद उराँव, अजय उराँव, प्रवेश राणा, रामेश्वर गंझू, भाकपा (माले) के जिला सचिव बिरजू राम, कांग्रेस पार्टी के पूर्व जिलाध्यक्ष मुनेश्वर उराँव आदि कर रहे थे.