


ग्रामीणों में बाबूलाल उरांव, उमेश सिंह, चिपुर साव, बब्लू ठाकुर, सरेंद्र सिंह, रामपाल सिंह, पंकज प्रसाद सहित अन्य ने बताया कि कोयला जांच को ले कर गांव में न तो कोई ग्रामसभा आयोजित की गई है और न ही रैयतों को जांच कार्य के बारे में कोई जानकारी दी गयी. उन्होंने आरोप लगाया कि सीएमपीडीआई के कर्मी अचानक गांव में बोरिंग मशीन लेकर पहुंच जाते हैं और मनमाने तरीके से भूमि पर जांच शुरू कर देते हैं. ग्रामीणों ने कहा कि यह पूरी प्रक्रिया पारदर्शिता के बिना हो रही है, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश है.
ग्रामीणों ने कहा कि यदि यहां कोलियरी खोली जाती है तो उनके विस्थापन की समस्या खड़ी हो जाएगी. उन्होंने स्पष्ट कहा कि जब तक ग्रामसभा आयोजित कर सभी रैयतों की सहमति नहीं ली जाती, तब तक कोई भी जांच या बोरिंग कार्य नहीं करने दिया जाएगा. मौके पर बड़ी संख्या में महिला एवं पुरुष ग्रामीण एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए और अधिकारियों से भी जांच कार्य रोकने की मांग की.