यहां तक कि जेसीबी मशीन द्वारा ट्रेंच काटे जा रहे है. जब ग्रामीण शांतिपूर्ण तरीके से उसका विरोध करते हैं, तो ग्रामीणों को धमकाया जाता है और नक्सलियों से फोन करा कर ग्रामीणों को डराया जाता है. दोनों गांव के लोगों ने व्यक्तिगत सामुदायिक वन अधिकारों के लिए दावा किया है. जो अभी तक विचाराधीन है.
