


सूत्रों की माने तो वन विभाग को अवैध रूप से बीड़ी पत्ता की तुड़ाई में बंधी–बंधाई रकम ठेकेदार के द्वारा दिया जाता है. इस कारण वनाधिकारी व कर्मी अवैध रूप से फलफूल रहे कारोबार को रोकने के लिए कभी दिलचस्पी नहीं दिखाते है. बीड़ी पत्ते के सौ पोले का दर 200 रुपए निर्धारित है. लेकिन पता नहीं कि यह दर कौन निर्धारित करता है. यह तो वन निगम वाले ही बता पायेगें. लेकिन मजदूर इसी दर पर बीड़ी पत्ता की तुड़ाई करने पर विवश हैं.
उनका कहना है कि साल भर में एक बार ही बीड़ी पत्ता की तुड़ाई का काम मिल पाता है. घर के सभी सदस्य मिल कर इस काम में लगते हैं, जो मजदूरी उन्हें दिया जाता है, उसे वे ले लेते है. सूूत्र बताते हैं कि मजदूरों के द्वारा कम दर पर बीड़ी पत्ता की तुड़ाई करायी जाती है और उच्चे दर पर बाहर के कारोबारियों को बेंच दिया जाता है. बता दें कि इस अवैध धंधे में जनप्रतिनिधि, ठेकेदार, उग्रवादी और वन विभाग भी मालामाल होते हैं. पीटीआर में बीड़ी पत्ता तुड़ाई के लिए कोई नीलामी नहीं होती है, इस कारण सारा पैसा कारोबारियों के पॉकेट में जाता है और सरकार को लाखों करोड़ों रूपये का चूना लगता है.