


आशीष टैगोर
लातेहार प्रखंड के मुखिया संघ ने भी कमोवेश यही आरोप लगा कर एक आवेदन जिप सदस्य विनोद उरांव को सौंपा था और कहा कि जब तक इन मनरेगा कर्मियों का यहां से स्थानांतरण नहीं हो जाता वे काम नहीं करेगें. इसके बाद में जिप सदस्य ने उपायुक्त को आवेदन सौंप कर मामले की जांच कराने की मांग की थी. तब से बीपीओ रतन कुमारी व जिप सदस्य के आरोप प्रत्यारोप का जारी है. अब इस मामले मे प्रखंड के प्रमख, उप प्रमुख एवं पंचायत समिति सदस्यों की भी इंट्री हो चुकी है.
प्रखंड प्रमुख परशुराम लोहरा व उप प्रमुख राजकुमार प्रसाद ने बीपीओ समेंत अन्य मनरेगा कर्मियों को क्लीन चिट दे दी है. उपायुक्त को सौंपे गये आवेदन में उन्होने कहा है कि मुखियाओं के द्वारा मनरेगा कर्मियों पर मनरेगा योजनाओं के क्रियान्नवयन में पैसे के लेन देन के गंभीर आरोप लगाये गये हैं. उन्होने कहा कि प्रखंड कार्यालय में प्रमुख, उप प्रमुख व अन्य पंचायत समिति सदस्य दिन भर मौजूद रहते हैं, लेकिन किसी भी लाभुक या मुखिया के द्वारा लिखित व मौखिक रूप से इस प्रकार की कोई शिकायत नहीं आयी है.
उन्होने कहा कि मनरेगा कर्मियों पर लगाया गया यह आरोप निराधार है. उन्होने जिप सदस्य पर प्रखंड के कार्यों में अनावश्यक हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया. यदि कोई मामला था तो उसे पहले उनके संज्ञान में लाना था. वे इस संस्थान के प्रमुख हैं. हालांकि इस मामले में बीपीओ, लातेहार एक अपनी सफाई दे चुकी हैं. उन्होने जिप सदस्य विनोद उरांव पर आरोप लगाया कि वे योजनाओं में कमीशन मांगते हैं, जब उन्हें कमीशन नहीं मिली तो वे मनरेगा व प्रखंड कर्मियों की छवि को धूमिल करने का प्रयास कर रहे हैं.
उनके योगदान देने के बाद एक भी योजना की इंट्री नहीं हुई है, फिर नाजायज राशि लेने का सवाल ही नहीं उठता है. जिप सदस्य श्री उरांव बीपीओ के द्वारा लगाये गये आरोप को निराधार बता चुके हैं. हालांकि जानकारों का एक तबका यह बताता है कि राजनैतिक महत्वकांक्षा इस प्रकरण का मूल आधार है.