लातेहार
लवलेश गंझू की जुबानी, लवलेश गंझू से लवलेश जी बनने तक का सफर


निहित कुमार
जब माओवादियों से टूटकर टीपीसी का गठन हुआ तो वह गांव में ही रहता था. एक दिन टीपीसी के लोग आएं और उसकी लाठी और डंडे से खुब पीटायी की. वह किसी प्रकार जान बचा कर वहां से भागा था. बाद में वह अपने गांव कुरियाम, बालुमाथ से भागकर लातेहार आ गया. इसके बाद भी टीपीसी के लोग उसे जाने से मारने के लिए खोज रहे थे. मैं क्या करता. इसी बीच उसका संपर्क जेजेएमपी के सुप्रीमो पप्पू लोहरा से हुआ और वी जेजेएमपी से जुड़ गया. जो लोग उसे मारने के कार्य में शामिल थे उनसे बदला लेने निकला पड़ा. वह भी उन्हीं के रास्ते पर चल पड़ा जिस रास्ते पर अन्य उग्रवादी चल रहे थे. उसने बताया कि जंगल का कोई जीवन नहीं होता है. संघर्ष से समस्याओ का हल नहीं निकलता है. आज आत्मसमर्पण के बाद मुझे बहुत ही सुकुन मिल रहा है. जेल से निकलने के बाद मैं अब अपने परिवार के साथ इमानदारी से मेहनत कर जीवन यापन करूंगा. उन्हाने अपने साथियों से भी अपील करते हुए कहा कि आप भी हिंसा का रास्ता छोड़ दें और समाज के मुध्यधारा से जुड़ अपने परिवार और बाल बच्चों के साथ एक शांतिपूर्ण जीवन यापन करें.