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लातेहार

लवलेश गंझू की जुबानी, लवलेश गंझू से लवलेश जी बनने तक का सफर

निहित कुमार 

लातेहार। जेजेएमपी के सब जोनल कमांडर लवलेश गंझू ने गत मंगलवार को पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दी है. सरेंडर के बाद शुभम संवाद से बात करते हुए उसने लवलेश गंझू  से लेकर लवलेश जी बनने तक की कहानी खुद पत्रकारों को बतायी. उसने बताया कि कैसे उसने माओवादी ज्‍वाइन किया और फिर बाद में जेजेएमपी के सरगना पप्‍पू लोहरा से उसकी मुलाकात हुई. लवलेश गंझू पर लातेहार और पलामू के विभिन्न थानों में 50 से ज्यादा मामले दर्ज हैं.  सरकार के द्वारा उस पर पांच लाख का इनाम भी घोषित था. आत्मसमर्पण के बाद लवलेश गंझू ने बताया कि जब वह 12-13 वर्ष का था तब उसके इलाके में माओवादियों का वर्चस्व था. माओवादी उनके इलाके में आते थे तो वे अन्‍य ग्रामीणो के साथ उन्हें खाना खिलाया करते थे.

तब उन्‍हें नहीं पता था कि आखिर नक्सली किसे कहते हैं. मेरे माता- पिता नहीं होने के कारण सही रास्ता दिखलाने वाला कोई नहीं था. जिसके कारण वह माओवादियों से जुड़ गया और इनके साथ काम करने लगा. जब माओवादियों से टूटकर टीपीसी का गठन हुआ तो वह गांव में ही रहता था. एक दिन टीपीसी के लोग आएं और उसकी लाठी और डंडे से खुब पीटायी की. वह किसी प्रकार जान बचा कर वहां से भागा था. बाद में वह अपने गांव कुरियाम, बालुमाथ  से भागकर लातेहार आ गया. इसके बाद भी टीपीसी के लोग उसे  जाने से मारने के लिए खोज रहे थे. मैं क्या करता. इसी बीच उसका संपर्क जेजेएमपी के सुप्रीमो पप्पू लोहरा से हुआ और वी जेजेएमपी से जुड़ गया. जो लोग उसे मारने के कार्य में शामिल थे उनसे बदला लेने निकला पड़ा. वह भी उन्हीं के रास्ते पर चल पड़ा जिस रास्‍ते पर अन्‍य उग्रवादी चल रहे थे. उसने बताया कि जंगल का कोई जीवन नहीं होता है. संघर्ष से समस्‍याओ का हल नहीं निकलता है. आज आत्मसमर्पण के बाद मुझे बहुत ही सुकुन मिल रहा है. जेल से निकलने के बाद मैं अब अपने परिवार के साथ इमानदारी से मेहनत कर जीवन यापन करूंगा. उन्‍हाने अपने साथियों से भी अपील करते हुए कहा कि आप भी हिंसा का रास्ता छोड़ दें और समाज के मुध्यधारा से जुड़ अपने परिवार और बाल बच्चों के साथ एक शांतिपूर्ण जीवन यापन करें.

Ashish Tagore

Bureau Head Shubhamsanwad.com 9471504230/9334804555

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