लातेहार। किसी शायर ने कहा है कि खामोश लहू भी जोश ओ रवानी देगा, साहिल भी समंदर की कहानी देगा, गर ठान लो कुछ करने की, तो पत्थर को भी निचोडोगे तो पानी देगा’. इस पक्तियों को धरातल पर उतारने का काम किया है बालूमाथ के सफल व्यवसायी तौकीर अहमद ने. उन्होने निर्माण सामग्री के अपने सफल व्यवसाय के साथ कुछ अलग करने की सोची. तब उन्होने कुछ चुनिंदा गायों से डेयरी खोली.
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साल भर में ही उन्होने लगभग बीस उच्च नस्ल की गायों के साथ अलग अलग नस्ल की बकरियों तथा देशी मुर्गियों का बड़ा कुनबा खड़ा कर समाज को अलग संदेश देने का काम किया है. तौकीर अहमद के डेयरी की गायों से रोजाना सैकड़ों लीटर दूध उत्पादन होता है. यह बालूमाथ वासियों की जरूरतों को पूरा करने में अपनी भूमिका निर्वहन कर रहा हैं.
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उन्होने देशी और हाइब्रिड नस्ल की सैंकड़ों बकरियों का पालन किया और पशुधन से आमदनी अर्जित किए जाने की संभावनाओं के द्वार खोलने का कार्य किया है. यही नहीं तौकीर अहमद के द्वारा चलाए जा रहे डेयरी में देशी मुर्गियो का भी बड़े पैमाने पर पालन किया जा रहा है. 35 डिसमिल में बने डेयरी फार्म में ऑर्गेनिक सब्जियों का भी उत्पादन बखूबी किया जा रहा है.
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क्या कहते हैं डेयरी फार्म चलाने वाले व्यवसायी
तौकीर अहमद ने कहा कि किसान का बेटा होने के नाते खेती किसानी में शुरू से ही रुचि रही है. वर्तमान दौर में मिलावट का बोलबाला है. शुद्ध दूध उत्पादन कर उसके वास्तविक जरूरतमंद तक लो कॉस्ट में पहुंचाने के उद्देश्य से साल भर पहले शुरू किया गया डेयरी के प्रति आम लोगों के रुझान ने मुझे बकरी और मुर्गी पालन के लिए प्रेरित किया.
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ऑर्गेनिक सब्जियों का उत्पादन भी प्रायोगिक रूप से शुरू किया गया है. मिलावट और खाद और कैमिकल से मुक्त पौष्टिक आहार उपलब्ध कराने से जो आत्मसंतुष्टि मिलती है, वही अनमोल है. उन्होंने कहा कि सरकार के स्तर पर भी ऐसे यूनिट को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. अगर सरकारी स्तर पर मॉनिटरिंग और तकनीकी सहायता मिले तो जिला की दूध, सब्जी, अंडा, देशी मुर्गियों और मीट की आवश्यकताएं आसानी से यहीं से पूरी की जा सकती है.