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राज्‍य

फ्लैश बैक-4- जब छह बार के विधायक यमुना सिंह को निर्दलीय चुनाव लड़ना पड़ा था

लगातार चार बार विधायक बने, झारखंड के पहले वन एव पर्यावरण मंत्री थे

Ashish Tagore

राजनीति के खेल भी निराले हैं. यह कब किस करवट बैठेगी किसी को पता नहीं चलता. अगर ऐसा नहीं होता तो छह बार के विधायक यमुना सिंह को मनिका विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ना पड़ता. यहां तक तो ठीक था, लेकिन उस चुनाव में उनका ऐसा हश्र होगा, किसी ने सोचा नहीं था. चुनाव में यमुना सिंह नीचे नौं वे स्थान पर रहे थे. बात 2009 के विधानसभा चुनाव की है. इस चुनाव में यमुना सिंह को भाजपा ने टिकट नहीं दिया था. भाजपा ने 30 वर्षीय युवा नेता हरिकृष्णा सिंह पर दाव खेला. इससे क्षुब्ध हो कर यमुना सिंह ने मनिका विधानसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ा और कुल 1712 वोट ला कर नौं वें स्थान पर रहे. उस चुनाव में मनिका से कुल 23 प्रत्याशियों ने किस्मत आजमाया था.

yamuna singh File Photo 1969 में पहली बार विधायक चुने गये थे यमुना सिंह

यमुना सिंह पहली बार भारतीय जनसंघ के टिकट पर वर्ष 1969 में लातेहार विधानसभा सीट से विधायक चुने गये थे. उस समय मनिका विधानसभा सीट अस्तित्व में नहीं आया था. मनिका विधानसभा क्षेत्र के अस्तित्व में आने के बाद 1977 में विधानसभा चुनाव हुए. इस चुनाव में यमुना सिंह ने मनिका विधानसभा क्षेत्र से जनता पार्टी के टिकट से चुनाव लड़ा और विजयी हुए. इसके यमुना सिंह साल 1980, 1985, 1990 के विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट से चुनाव लड़े और जीते. 1995 में उनका विजय रथ थम गया और राजद के रामचंद्र सिंह ने यमुना सिंह को हरा दिया.

झारखंड के पहले वन एवं पर्यावरण मंत्री बने थे

साल 2000 के चुनाव में यमुना सिंह ने मनिका विधानसभा सीट से एक बार फिर कम बैक किया. झारखंड गठन के बाद यमुना सिंह प्रदेश के पहले वन एवं पर्यावरण मंत्री बने. इसके बाद से यमुना सिंह का ग्राफ नीचे गिरता चला गया. साल 2005 के विधानसभा चुनाव में राजद के रामचंद्र सिंह ने अपने निकटम प्रतिद्वंदी झामुमो के डा दीपक उरांव को 9883 वोटों से हरा दिया. भाजपा के यमुना सिंह 15680 वोट ला कर तीसरे स्थान पर रहे. यह वह दौर था जब यमुना सिंह अपनी बढ़ती उम्र एवं पारिवारिक कारणों से संगठन से दूर होते चले गये. वर्ष 2009 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उनका टिकट काट कर हरिकृष्ण सिंह को अपना प्रत्याशी बनाया. हरिकृष्ण सिंह निराश नहीं किया और चुनाव जीते. उन्होने अपने निकटम प्रतिद्वंदी कांग्रेस के रामेश्वर उरांव को 1769 वोटो से हराया. निर्दलीय चुनाव लड़ रहे यमुना सिंह नौं वें स्थान पर खिसक गये. वर्ष 2010-11 में यमुना सिंह का निधन हो गया.

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