Kamrul Aarfee बालूमाथ (लातेहार)। 23 नवंबर को झारखंड विधानसभा चुनाव परिणाम घोषित होने के 13 वें दिन व मुख्यमंत्री के रुप में चौथी बार शपथ लेने के सातवें दिन हेमंंत सोरेन ने मंत्रिमंडल का गठन कर राजनीतिक कयासों पर विराम लगा दिया. झारखंड सरकार का नया मंत्रिमंडल पूर्व की भांति कुछ अलग सन्देश देने वाला है. इंडिया गठबंंधन के नेताओं और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने क्षेत्र, जातिगत समीकरण के साथ साथ राजनीतिक नफा नुकसान का भरसक ख्याल रखा है. फिर भी खूबियों के साथ कुछ कमियां जरूर रह गई. प्रमंडल स्तर पर सहभागिता की बात की जाए तो संथाल परगना बाकी प्रमंडलों को काफी पीछे छोड़ दिया है. जबकि पलामू प्रमंडल को उम्मीदों के अनुरुप मंत्रिमंडल में सहभागिता नहीं मिल पाया. पांच प्रमंडलों में झारखंड सरकार के बारह के स्ट्रेंथ वाले मंत्रिमंडल में टोटल स्ट्रेंथ के आधे से एक कम यानि मुख्यमंत्री समेत पांच बर्थ संथाल परगना के हिस्से आया है. क्यूंकि 18 में 17 सीटें इंडिया गठबन्धन जीतकर 2019 से बेहतर प्रदर्शन किया है. जहां झामुमो से खुद मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के साथ हफीजुल हसन, कांग्रेस के डॉ इरफ़ान अंसारी व दीपिका पांडेय सिंह एवं राजद के संजय प्रसाद यादव मंत्री बनाए गए हैं. इसके जायज वजह भी है. जरमुंडी छोड़कर बाकी सारी सीटें सत्ताधारी जमात को हासिल हुई है. प्रमंडल के हिसाब से इंडिया गठबन्धन के लिए उपजाऊ जमीन साबित हुए कोल्हान व दक्षिणी छोटानागपुर को मंत्रिमंडल में दो-दो बर्थ मिले हैं. कोल्हान के 14 में से 12 सीट इंडिया गठबन्धन को देनेवाला प्रमंडल से दीपक बीरुआ एवं रामदास सोरेन जो झामुमो से हैं को रिपीट किया गया है.
Advertisement
उम्मीदों के अनुरुप से थोड़ा कम रिजल्ट देने वाला उत्तरी छोटानागपुर जहां 25 में 10 सीटें जीतने वाले प्रमंडल को भी कोल्हान व दक्षिणी छोटानागपुर के समकक्ष दो मंत्री मिले हैं. दोनों मंत्री योगेन्द्र प्रसाद महतो व सुदिव्य कुमार सोनू डार्क हॉर्स साबित हुए. दोनों की दावेदारी अन्य दावेदारों की तुलना में ज्यादा मुखर नहीं थी. फिर भी हेमन्त सोरेन ने पुरानी ढर्रे की राजनीति से इतर कदम उठाया. इस प्रमंडल से मथुरा महतो को मंत्री बनना तय माना जा रहा था. यही परिपाटी दक्षिणी छोटानागपुर जहां 15 सीटों में 13 पर विजय प्राप्त करने वाली इंडिया गठबन्धन ने प्रमंडल में अपनाई. जहां दो नए चेहरे को मौका दिया गया. कांग्रेस की शिल्पी नेहा तिर्की व झामुमो के लगातार चौथी बार विधायक बने चमरा लिंडा सबसे बड़े डार्क हॉर्स साबित हुए. डॉ रामेश्वर उरांव को ड्रॉप कर कांग्रेस और मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अलग सन्देश देने की राजनीति की शुरुआत की है.
Advertisement
राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला पलामू प्रमंडल को उम्मीदों से विपरीत महज़ एक बर्थ कांग्रेस के राधाकृष्ण किशोर के रूप में मिला है. जबकि पिछले विधानसभा की तुलना में इंडिया गठबन्धन का प्रदर्शन इस बार बेहतर रहा है. नौ में से पांच विधायक सत्ता पक्ष के चुने गए हैं. पिछले हेमंत कैबिनेट में पलामू से दो मंत्री थे. जबकि चार ही विधायक थे. जातिगत समीकरण की जहां तक बात की जाए तो सभी वर्गों को साधने का भरपूर प्रयास किया गया है. आदिवासी बाहुल्य प्रदेश में मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन समेत आधे से एक कम यानि पांच सदस्य दीपक बीरुआ, रामदास सोरेन, चमरा लिंडा, शिल्पी नेहा तिर्की इसी वर्ग से आते हैं. आदिवासी समाज के बाद प्रतिनिधित्व के मामले में ओबीसी की हिस्सेदारी है पिछड़े से योगेन्द्र प्रसाद महतो, सुदिव्य कुमार सोनू एवं संजय प्रसाद यादव कुल तीन मंत्री बनाए गए हैं.
Advertisement
अल्पसंख्यक वर्ग से दो डॉ इरफ़ान अंसारी एवं हफीजुल हसन मंत्री बनाए गए हैं. अनुसूचित जाति कोटे से राधाकृष्ण किशोर हैं. सवर्ण में दीपिक पांडेय सिंह हैं. बहरहाल मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन एवं इस मंत्रिमंडल की तारीफ इसलिए भी की जानी चाहिए कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन एवं भाई बसंत सोरेन के विधायक होने के बावजूद मंत्रिमंडल में जगह नहीं देना परिवारवाद के लगने वाले पुराने आरोपों से बड़ी साफगोई से बच निकलने का काम किया है. पहले की तुलना में ऊर्जावान मंत्रिमंडल झारखंड के उन्नति के लिए क्या सामूहिक प्रयास करती है इसका विश्लेषण समय के साथ किया जाएगा. फिलहाल हेमन्त सोरेन के नेतृत्व वाली मंत्रिमंडल को शुभकामनाएं.