महुआडांड़ (लातेहार)। जिले के महुआडांड़ प्रखंड के साले गांव में नाजरेथ की धर्म बहनों ने महुआडांड़ में अपने आगमन का स्वर्ण जयंती वर्ष मनाया. साल 1974 में नाजरेथ धर्म बहने पहली बार साले गांव में आई थीं. उन्होने क्षेत्र में शिक्षा का अलख जगाया. संत माईकल विद्यालय में बच्चों की तालिम में पूर्ण योगदान दिया. कार्यक्रम का शुभारंभ ईश्वर को धन्यवाद कर किया गया. पूजा बलिदान में उन सभी दिवंगत धर्म बहनों एवं पुरोहितों की आत्माओं को याद किया गया, जो सबसे पहले साले जैसे गांव में आ कर काम किया.
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बिशप थियोडोर ने कहा कि ईश्वर जो चाहता है वह हो कर रहता है. इश्वर की इच्छा का कोई विरोध नहीं कर सकता है. हमें प्रार्थनाओं द्वारा उसकी जो योजना हमारे लिए है उसे जानने की कृपा मांगने की जरूरत है. उन्होने अपने बच्चों को अच्छी संस्कार व शिक्षा देने की अपील अभिभावकों से की. उन्होने कहा कि भले ही शिक्षा की ज्योति यहां जलायी गयी है लेकिन अभी तक पूर्ण रूप से उजाला नहीं हुआ है.
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बिशप थियोडोर ने बच्चों से कहा कि तुम सब हम सबों के भविष्य हो और भविष्य को सुन्दर और मजबूत बनाना आपके हाथों में है. मौके पर डाल्टेनगंज धर्मप्रांत के बिशप थियोडोर के साथ धर्मप्रांत के वीजी फादर संजय गिद्ध, पुरोहित, धर्मबंधु , नाजरेथ धर्म समाज की धर्मबहने संत माईकल विद्यालय के शिक्षक और बच्चे उपस्थित थे.