लातेहार। वर्तमान में माओवादी के शीर्षस्थ नेताओं में छोटू जी उर्फ छोटू खरवार की गिनती होती थी. छोटू कोयल शंख जोनल इंचार्ज के रूप में बूढ़ा पहाड़ ऑक्टोपस अभियान के बाद कार्य कर रहा था.छोटू खरवार अपनी जिद्दी स्वभाव एवं क्विक डिसीजन के कारण चर्चित रहा है. छोटू खरवार पर लातेहार जिले में 100 से अधिक हत्या , आगजनी वो विस्फोट की प्राथमिकी दर्ज है. छोटू खरवार सरकार के लिए सरदर्द बना हुआ था.
Advertisement
पिछले तीन दशकों से पुलिस की हर गतिविधि पर छोटू खरवार की नजर रहती थी. नतीजतन पुलिस को कभी भी सफलता हाथ नहीं लगी. अंततः आपसी रंजिश में ही वह मारा गया. नावाडीह चकलावा टोला निवासियों की अगर बातों को माना जाए तो उनका दावा है कि नावाडीह निवासी माओवादी मृत्युंजय जी उर्फ फ्रेश भुइंया ने इस घटना को अंजाम दिया है. बताया जाता है कि पिछले कुछ दिनों से इन दोनों माओवादियों में काफी खटपट चल रहा था.
Advertisement
मालूम हो मृत्युंजय जी भी माओवादी संगठन के कोयल शंख जोनल प्रभारी रहे हैं. मृत्युंजय जी के ऊपर भी 10 लाख रुपए का इनाम सरकार घोषित किया है. हालांकि मृत्युंजय जी को 2013 में पुलिस जेल भेज दी थी. बताया जाता है कि जेल से निकलने के बाद मृत्युंजय जब माओवादी संगठन पुनः ज्वाइन करने गया तो छोटू खरवार उन्हें शामिल नहीं किया था. बाद में जेजेएमपी कमांडर उपेंद्र खरवार ने मृत्युंजय के ऊपर हमला किया, गोलीबारी हुई तब माओवादियों को मृत्युंजय पर भरोसा हुआ और उसे पुनः संगठन में शामिल किया गया.लेकिन बताया जाता है कि इस घटना से मृत्युंजय को छोटू खरवार के प्रति खीझ थी और दिनों दिन दोनों में आंतरिक रंजिश बढ़ती जा रही थी. पिछले कई दिनों से माओवादियों का दस्ता नावाडीह भीमपाव जंगल के आसपास मंडरा रहे थे. किसी बात पर उत्पन्न विवाद में मृत्युंजय ने छोटू खरवार को मौत का घाट उतारा. हालांकि इसकी पुष्टि अभी तक पुलिस के द्वारा नहीं की गई है. लेकिन ग्रामीणों में इसकी जबरदस्त चर्चा है. माओवादी सूत्रों ने भी इस बात को दबी जुबान से सही बताया है. अब देखें पुलिसिया कार्रवाई में क्या मामला सामने उजागर होता है.