लातेहार। 2024 लातेहार पुलिस के लिए उपलब्धियों वाला साल रहा है. पुलिस ने कई दुर्दांत उग्रवादियों को पकड़ने मे सफलता पायी है तो कई उग्रवादियों ने सरकार की नयी दिशा नीति से प्रभावित हो कर आत्मसमपर्ण कर दिया. इससे अलग पुलिस को एक और उपलब्धि मिली है. पुलिस ने माओवादियों के रिजनल कमिटि के सदस्य छोटू खरवार उर्फ बिरजू सिंह उर्फ छोटू जी के हत्यारों को मात्र आठ दिनों में गिरफ्तार कर जेल भेजा था.
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हालांकि छोटू खरवार की हत्या उसके ही साथियों ने आपसी विवाद में किया था. बता दें कि छोटू खरवार का शव गत 27 नवंबर को लातेहार जिले के छिपादोहर थाना क्षेत्र के अमवाटीकर सड़क पर लावारिश हालत में बरामद किया गया था. इस खबर ने राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरी थी. पुलिस के लिए उसके हत्यारों को पकड़ना एक चुनौति था. लेकिन पुलिस अधीक्षक कुमार गौरव की सटीक रणनीति एवं ग्रामीण तंत्रों की सूचना के बदौलत पुलिस ने चार दिसंबर को छोटू खरवार की हत्या में शामिल चार माओवादियों को पकड़ लिया था.
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इनमें पुरन परहिया (48), बिनेश्वर भुईयां (54), लुरूक मिंया उर्फ नूर मोहम्मद (50) और बालकेश भुईयां (46) का नाम शामिल है. सभी आरोपी छिपादोहर थाना के नावाडीह ग्राम के रहने वाले हैं. इन आरोपियों ने बताया था कि छोटू खरवार की हत्या 25 नवंबर को ही कर दी गयी थी. 25 नवंबर की रात पैसा को ले कर मृत्युजंय भुइंया, छोटू खरवार, चंद्रदेव सिंह खरवार व दस्ता के अन्य सदस्यों के बीच कहा सुनी हुई थी. इसी क्रम में मृत्युजंय सिंह व चंद्रदेव सिंह खरवार ने मिल कर छोटू खरवार को गोली मार कर हत्या कर दी. शव को पहले एक गड्डे में छिपा कर रखा गया और दूसरे दिन उस सड़़क फेंक दिया गया. इसमें कोई दो राय नहीं कि छोटू खरवार के मारे जाने से माओवादियों की रीढ़ टूट गयी है. क्षेत्र में माओवादी काफी कमजोर हुए हैं.
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90 के दशक का दुर्दांत माओवादी था छोटू खरवार
माओवादी के शीर्षस्थ नेताओं में छोटू जी उर्फ छोटू खरवार की गिनती होती थी. वह 90 के दशक से ही माओवादियों के शीर्ष कमिटि में शामिल था. कोयल शंख जोनल इंचार्ज के रूप में बूढ़ा पहाड़ ऑक्टोपस अभियान के बाद कार्य कर रहा था. छोटू खरवार पर हत्या, आगजनी और विस्फोटक कार्रवाई करने के आरोप में कई प्राथमिकी कई मामले दर्ज थे. छोटू खरवार सरकार के लिए सरदर्द बना हुआ था. पिछले तीन दशकों से पुलिस की हर गतिविधियों पर छोटू खरवार की नजर रहती थी. यही कारण है कि पुलिस को उसे पकड़ने में कभी भी सफलता हाथ नहीं लगी. आखिरकार बाद में वह आपसी रंजिश में मारा गया.