बालूमाथ (लातेहार)। झारखंड अंजुमन के संयोजक सह बालूमाथ निवासी सामाजिक कार्यकर्ता जुनैद अनवर ने केंद्र सरकार के द्वारा पारित वक्फ संशोधन विधेयक 2024 को अकलियत विरोधी कर दिया है. उन्होंने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि केंद्र की सरकार ने तो जबरन संख्या बल के आधार पर वक्फ संशोधन विधेयक को दोनों सदनों से पारित करवाने में भले ही सफल रही हो. लेकिन सरकार की मंशा वक्फ की जमीन छीन कर बड़े धन्नासेठों को सौंपने की है. उन्होंने कहा कि बिल में कई ऐसे बिंदु हैं जो साफ इस ओर इशारा करती है. उन्होंने कहा कि बिल में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति का प्रस्ताव है.
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सरकार का तर्क है कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी. परन्तु यह धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप है, जो कि असंवैधानिक है. पारंपरिक रूप से लंबे समय तक उपयोग के आधार पर संपत्ति को वक्फ मानने की प्रथा को खत्म करने का प्रस्ताव है. अनवर ने कहा कि इससे मस्जिदों, कब्रिस्तानों और दरगाहों की पहचान खतरे में पड़ सकती है. वक्फ संपत्तियों के विवादों में जिला मजिस्ट्रेट को निर्णायक शक्ति देने का प्रावधान विवादास्पद है. सरकार इसे प्रशासनिक सुधार बताती है. लेकिन यह वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता पर हमला है. पहले वक्फ ट्रिब्यूनल का फैसला अंतिम होता था. लेकिन अब हाईकोर्ट में अपील की जा सकेगी. सरकार इसे न्यायिक सुधार कह रही है, जबकि यह इससे वक्फ संपत्तियों पर दावे कमजोर होंगे.
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संपत्ति दान की अनिवार्यता बिल में कहा गया है. बिना दान के कोई संपत्ति वक्फ नहीं मानी जाएगी. पहले दावे के आधार पर संपत्ति वक्फ हो सकती थी. जिसे वे वक्फ की शक्ति छीनने का प्रयास समझते हैं. सरकारी संपत्ति को वक्फ से बाहर करने का प्रस्ताव है. सरकारी संपत्ति को वक्फ के दायरे से हटाया जाए. उन्होने इसे संपत्तियों पर कब्जे की साजिश करार दिया है. महिलाओं और ओबीसी का प्रतिनिधित्व बिल में वक्फ बोर्ड में महिलाओं और मुस्लिम ओबीसी समुदाय से सदस्यों को शामिल करने की बात है. सरकार इसे समावेशी कदम बताती है, लेकिन वे इसे टोकनिज्म कहकर खारिज करते हैं.